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ग्रहणशील

कुछ काल पहले एक देवी ने मुझे कहा, "अच्छे लोगो के साथ ही ऐसा क्यों होता है। उन्हें ही क्यों दुख भोगने पड़ते है।" हालंकि मुझे उन्हें बोलना तो बहुत कुछ था परंतु उस समय मेरा बोलना उचित नहीं होता इसलिए में उन्हें ध्यान पूर्वक सुनती रही। उनकी हर एक कही गई बातों को मैने समझने का प्रयास किया।  बहुत सोच विचार करने के बाद मैने सोचा की जो भी उन्होने बोला सिर्फ वो नही वर्ण हर एक मनुष्य के मन में ऐसे ना जाने कितने ही विचार चलते रहते। फिर मैने सोचा क्यों न में इस विष्य में अपने विचार प्रकट करू। हालंकि मुझे कुछ खास अनुभव नहीं है जीवन का ना ही ज्ञान का परंतु जो भी थोड़ा बहुत अनुभव रहा उसके आधार पर में अपने विचार व्यक्त करना चाहूंगी। ये सत्य है की पृथ्वी माते का मूल स्वरूप तामसिक है परंतु इसके बावजूद मनुष्य स्वयं मृत्युलोक पे रहे कर स्वर्ग व नरक दोनों को ही बहुत सहेज तरीके से प्राप्त कर सकता है। ये सिर्फ एक मनुष्य पे निर्भर करता है की उसकी दृष्टि कैसी है और उसकी विचार करने की क्षमता कैसी है।  अंग्रेजी में एक बहुत ही सुंदर शब्द है Receptive अर्थात ग्रहणशील ये मनुष्य में ऐसा गुण है जो उसकी संपू